क्षेत्रीय निदेशक कार्यालय, मध्य क्षेत्र, भोपाल की स्थापना वर्ष 2009 में हुई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी और मध्य क्षेत्र इन पाॅंच क्षेत्रीय निदेशालयों को बनाया। प्रशासन के उद्देशयों के साथ स्थापित इन कार्यालयों के तहत मण्डलों के काम का प्रबंधन और पर्यवेक्षण करने के लिये क्षेत्रीय निदेशालय को बनाया गया। चार मण्डलों अर्थात भोपाल, लखनऊ, रायपुर, सारनाथ मण्डल तथा एक शाखा मंदिर सर्वेक्षण परियोजना (उत्तरी क्षेत्र) भोपाल, मध्य क्षेत्रीय निदेशालय भोपाल के अंतर्गत आता है।
हमारा अधिकार क्षेत्र

भोपाल मण्डल
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का भोपाल मण्डल वर्ष 1953 में अस्तित्व में आया, इससे पहले इस भोपाल मण्डल को मध्य मण्डल के नाम से जाना जाता था। 1985 में इसके पुनर्गठन के बाद इसका पुनः नामकरण कर भोपाल मण्डल कर दिया गया। वर्तमान में इसके क्षेत्राधिकार में 290 स्मारक/स्थल आते हैं।
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लखनऊ मण्डल
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लखनऊ मण्डल को 13 मई 1985 को आगरा मण्डल, भोपाल मण्डल और पटना मण्डल के हिस्सों को विभाजित कर के बनाया। वर्तमान में इसके क्षेत्राधिकार में 359 स्मारक/स्थल आते हैं।
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रायपुर मण्डल
छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को उस राज्य की सभी प्रकार की पुरातात्विक गतिविधियाँ और शोधों को नियमित करने हेतु रायपुर में एक अलग मण्डल के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया।
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सारनाथ मण्डल
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 27वें मण्डल, सारनाथ मण्डल की स्थापना 2 सितंबर 2013 (महानिदेशालय के पत्र संख्या 4-2/2013 पी.एल.जी.) के माध्यम से पटना मण्डल के पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ स्मारक एवं लखनऊ मण्डल के कुछ स्मारक शामिल कर किया गया।
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मंदिर सर्वेक्षण परियोजना, भोपाल
मंदिर सर्वेक्षण परियोजना, उत्तरी क्षेत्र, भोपाल की स्थापना वर्ष 1955 में हुई थी। श्री कृष्ण देव, मंदिर सर्वेक्षण परियोजना उत्तरी क्षेत्र भोपाल के पहले अधीक्षण पुरातत्ववेत्ता थे।
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